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गढ़मुक्तेश्वर : महर्षि कश्यप व महाराजा गुहाराजा निषाद की जयंती मनाई



रिपोर्ट - भूपेन्द्र सागर
गढ़मुक्तेश्वर। मीरा रेती दुर्गा मंदिर  मे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अधिवक्ता संदीप निषाद के नेतृव मे  महर्षि कश्यप व महाराजा गुहाराजा निषाद की जयंती के शुभ अवसर पर उनके चित्र पर माला अर्पण कर पुष्प चढ़ाये एवं मिठाई वितरण की गयी  अधिवक्ता संदीप निषाद ने बताया की महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। बो मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे।    मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते  थे
 इन्हे शिष्टी के रचिता माना जाता है और  निषादराज निषादों के राजा का उपनाम है। वे ऋंगवेरपुर के राजा थे, उनका पुरा नाम गुहाराज निषाद  था। वे निषाद समाज के थे और उन्होंने ही वनवासकाल में श्री राम, सीता तथा लक्ष्मण को  गंगा पार करवाया था। बो श्री राम के बाल सखा थे व निषाद राज गुह ने एक ही गुरुकुल में रहकर शिक्षा प्राप्त की थी महाराजा निषाद राज का किला  प्रयागराज से 40 किलोमीटर की दूरी सोरांव तहसील के शृंग्वेरपुर में स्थित है। निषादराज निषादों के राजा का उपनाम है। वे ऋंगवेरपुर के राजा थे, उनका नाम गुह था। वे निषाद समाज के थे।
इस अवसर पर अधिवक्ता संदीप निषाद,तारा केवट,डी पी निषाद, लता  केवट, धनश्याम निषाद, ताराचंद निषाद, राजू कश्यप, दिपेन्दर कुमार, दीपचंद केवट,विकश् निषाद, नरेश निषाद, प्रदीप निषाद एड, अमित निषाद,हिमांशु  निषाद,पवन. कुमार ,प्रियंसु आदि लोग उपस्तिथ रहे।