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हापुड : निर्जला एकादशी पर जगह-जगह हुआ शर्बत का वितरण

हापुड़। निर्जला एकादशी पर 17 जून को राष्ट्रीय स्वाभिमान संघ के तत्वावधान में फ्री गंज रोड़ स्थित जिला कार्यालय पर आमजन की सेवार्थ निःशुल्क मिल्करोज व शर्बत वितरण का कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 9 बजे से शुरू किया गया। राष्ट्रीय स्वाभिमान संघ के अध्यक्ष काशी पंडित ने बताया कि निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर भीषण गर्मी को देखते हुये मिल्करोज व शर्बत वितरण का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वाभिमान संघ द्वारा रखा गया है। उन्होंने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। आर्थिक रूप से समर्थवान लोग प्राकृतिक वस्तुओं के साथ, धन, द्रव्य आदि का भी दान कर समाज को आत्मबल प्रदान करते हैं। लोग ग्रीष्म ऋतु में पैदा होने वाले फल, सब्जियां, पानी की सुराही, हाथ का पंखा आदि का दान करते हैं। इस अवसर पर सम्मी पंडित, अज्जू पंडित, एडवोकेट अंकुर शर्मा, मंगी पंडित, राहुल शर्मा आदि मौजूद रहें।

एक ओर ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी जिसमें सूर्यदेव अपनी किरणों की प्रखर ऊष्मा से मानो अग्निवर्षा कर रहे हों, दूसरी ओर श्रद्धालुओं द्वारा दिनभर निराहार एवं निर्जल उपवास रखना। सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही नहीं, अपितु दूसरे दिन द्वादशी प्रारंभ होने के बाद ही व्रत का पारायण किया जाता है। अत: पूरे 1 दिन 1 रात तक बिना पानी के रहना वह भी इतनी भीषण गर्मी में, यही तो है भारतीय उपासना पद्धति में कष्ट सहिष्णुता की पराकाष्ठा। 
 हमारे धर्मग्रंथों में निर्जला एकादशी को आत्मसंयम की साधना का अनूठा पर्व माना गया है। ज्येष्ठ माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी सोमवार 17 जून को मनाई जा रही हैं। धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्व निर्जला एकादशी बड़े भक्तिभाव से मनाया जाता है। इस उपासना का सीधा संबंध एक ओर जहां पानी न पीने के व्रत की कठिन साधना है, वहीं आम जनता को पानी पिलाकर परोपकार की प्राचीन भारतीय परंपरा भी है। मठ, मंदिर एवं गुरुद्वारों में कथा प्रवचन, धार्मिक अनुष्ठान एवं शबद कीर्तन आदि के कार्यक्रम जहां दिनभर चलते हैं वहीं शीतल जल के छबीले लगाकर राहगीरों को बुला-बुलाकर बड़ी आस्था के साथ पानी पिलाया जाता है। बस स्टैंडों के आसपास पानी के छबील लगाकर अनेक धार्मिक संगठन दिनभर शीतल जल का वितरण करना बड़े पुण्य का कारण मानते हैं।
निर्जला एकादशी को पानी का वितरण देखकर आपके मन में एक प्रश्न अवश्य आता होगा कि जहां इस दिन के उपवास में पानी न पीने का व्रत होता है तो यह पानी वितरण करने वाले कहीं लोगों का धर्मभ्रष्ट तो नहीं कर रहे हैं? लेकिन इसका मूल आशय यह है कि व्रतधारी लोगों के लिए यह एक कठिन परीक्षा की ओर संकेत करता है कि चारों ओर आत्मतुष्टि के साधन रूप जल का वितरण देखते हुए भी उसकी ओर आपका मन न चला जाए।