लेखक : डॉ0 आर के राणा, नेचुरोपैथी योग एण्ड स्पोर्ट्स डेवलपमेंट फेडरेशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ स्तंभकार।
अन्नदाताओं के सच्चे पुरोधा व धरती पुत्र के रूप में विख्यात चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ अब हापुड़ जिले के नूरपुर ग्राम में एक मध्यम किसान परिवार में हुआ था। वे जाट समाज से थे। इनका जन्म दिवस किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनकी प्राथमिक शिक्षा नूरपुर में हुई। इन्होंने एम ए, एल एल बी की उच्च शिक्षा ग्रहण की थी। वे बचपन से ही बेहद कुशाग्र बुद्धि के थे। चौधरी चरण सिंह किसानों की आवाज बुलंद करने वाले प्रखर नेता थे। इन्होंने समाजसेवा क्षेत्र में अन्नदाताओं के हितों की रक्षा हेतु प्रबल पहल की। वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई बार विधायक, संसदीय सचिव, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय राजनीति में भारत के गृह मंत्री और प्रधान मंत्री भी रहे। चौधरी चरण सिंह ने देश आजादी से पूर्व स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। वे जल जंगल और जमीन से जुड़े कद्दावर नेता थे। उन्हें खेती किसानी बेहद पसंद थी। वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूमि सुधार,चकबंदी कार्यों हेतु प्रख्यात कर्मयोगी के रूप में जाने जाते हैं। चौधरी चरण सिंह ने कृषकों के कर्ज मुक्ति विधेयक पारित कराने और भूमि हदबंदी कानून लागू करने में महती भूमिका निभाई। वे बेहद सिद्धांतवादी और अनुशासन प्रिय प्रशासक के तौर पर जाने गए। वे सरकार के उच्च अधिकारियों की लालफीताशाही और भ्रष्टाचार के सदैव धुर विरोधी रहे। वे पूर्ण रूपेण सामाजिक न्याय, लोक सेवा भावना से ओतप्रोत होकर सेवा कार्य करते थे। वे किसानों के सच्चे सेवक थे, उन्होंने भारतीय किसानों के हितों की रक्षा हेतु अपने प्राणों को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। धरती पुत्र के नाम से विख्यात चौधरी चरण सिंह के सेवा कार्यों को आज समूचा राष्ट्र सादर नमन करता है।