रिपोर्ट - अहमद सुहैल
हापुड़। रोजा का मकसद सिर्फ भूखा प्यासा रहना नहीं है। यह सब और हमदर्दी का महीना है और सब का बदला जन्नत है। इस महीने में बंदों का रिज्क बढ़ा दिया जाता है। इस्लाम की बुनियादी चीजों में से रोजा एक है। रोजा अच्छे काम के लिए प्रेरित करता है और बंदे के अंदर दूसरों के साथ हमदर्दी का जज्बा पैदा करता है।
सराय बशारत अली स्थित मस्जिद के इमाम मुफ्ती खालिद कासमी ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान नौवां महीना माना जाता है, जो शुक्रवार से शुरू हो गया है। इस महीने में हर नेकी का सवाब बढ़ा दिया जाता है। अगर इस महीने में रोजा रखकर इबादत की जाए तो रोजे की बरकत से बंदे की नेकियों में इजाफा होता और उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि रमजान माह के तीन असरे हैं। पहला असरा पहले रमजान से लेकर दसवें रमजान तक रहता है, इसमें बंदों पर अल्लाह की रहमत बरसती है। दूसरा असरा 11 वें रमजान से 20 वें तक रहता है, इसमें अल्लाह अपने बंदों के गुनाह माफ करता है। और तीसरा व आखिरी असरा 21 से लेकर 30 वें रमजान तक होता, इसमें जहन्नुम की आग से छुटकारा पाने के लिए दुआ करनी चाहिए। इस महीने का आखिरी अशरे में एक शब ए कद्र की रात आती है। जिसमें बंदो को रात में भी इबादत करनी चाहिए।
पांबदी के साथ अदा करें नमाज, कुरान की भी करें तिलावत कारी आसिम जामा मस्जिद के इमाम कारी आसिम ने बताया कि रमजान माह में हमें पांचों वक्त की नमाज पाबंदी के साथ अदा करनी चाहिए। तरावीह जरूर पढ़े क्योंकि इसमें अल्लाह का कलाम सुना जाता है, तो इसे हम पूरे माह सुने। तरावीह की नमाज पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है।
सहरी और इफ्तार में रखें ध्यान
■ खाने में प्रोटीन अधिक लेना चाहिए। इससे कम भूख लगती है।
■ सहरी के समय अंडा, आटे की रोटी, ताजे फल, दूध, दही का प्रयोग करें।
■ इफ्तार के समय तला हुआ खाना शरीर के लिए हानिकारक है।
■ खाने में चिकनाई या नमक की मात्रा अधिक रखने से प्यास ज्यादा महसूस होगी।
■ सहरी और इफ्तार में सलाद का अधिक प्रयोग करें।
■ इफ्तार के समय हल्का आहार लेने के साथ रुक-रुक कर पेयपदार्थ अधिक लें। इसमें नारियल पानी, शिकंजी आदि तरल पेयजल शामिल करें।