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2025 भीम जयंती विशेष : बाबा साहेब कहते थे— “शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो”

अनिल आजाद (वरिष्ठ अधिवक्ता) हापुड़ बार एसोसिएशन 


हापुड़। हर साल 14 अप्रैल को हम भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाते हैं। यह दिन केवल एक महापुरुष के जन्मदिन के रूप में नहीं, बल्कि उनके महान विचारों, संघर्षों और सामाजिक क्रांति के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। ऐसे महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का तरीका भी वैसा ही गरिमामय और शिक्षाप्रद होना चाहिए।

आजकल अंबेडकर जयंती पर बड़े-बड़े डीजे, शोर-शराबा, और बेतुकी होड़ देखने को मिलती है। लेकिन क्या यह तरीका बाबा साहेब के विचारों के अनुरूप है? उन्होंने तो जीवन भर शिक्षा, शांति, और समता का संदेश दिया। उन्होंने संविधान की रचना की, जो हर नागरिक को समानता और अधिकार देता है। उनके विचार किताबों में नहीं, हमारे आचरण में झलकने चाहिए।

बाबा साहेब कहते थे— “शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो।”
उनकी यह प्रेरणा हमें बताती है कि उनकी जयंती केवल नाच-गाने का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का दिन है। इस दिन हम उनके जीवन, विचारों और सामाजिक योगदान पर परिचर्चाएं कर सकते हैं, उनके लिखे ग्रंथ पढ़ सकते हैं, और समाज में शिक्षा व जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।

बच्चों को उनके जीवन से प्रेरणा देने के लिए स्कूली प्रतियोगिताएं, भाषण, निबंध और चित्रकला जैसे आयोजन बहुत उपयोगी होते हैं। युवाओं को उनके संघर्ष और सामाजिक समरसता के लिए किए गए कार्यों से परिचित कराना जरूरी है। यह तभी संभव है जब हम इस दिन को एक शांतिपूर्ण, समझदारी और शिक्षाप्रद रूप में मनाएं। - आकाश अनिल आज़ाद