हापुड। राज्य भंडार गृह हापुड केंद्र पर स्वं चौधरी चरण सिंह की याद में किसान गोष्ठी का आयोजन किया। केंद्र के प्रभारी दीपक कुमार ने चौधरी साहब की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और फूल अर्पित किए। क्षेत्र से आये अनेकों कृषको ने भाग लिया।जिसमें केन्द्र के कर्मचारी राहुल तोमर ने चौधरी साहब की जीवन पर प्रकाश डालकर सभी को उनके जीवन के बारे में बताया।
राहुल तोमर ने बताया कि चौधरी चरण सिंह का जन्म एक साधारण परिवार मे हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए कई ऐसे फैसले किए जिससे भारत देश की गरीब जनता वह किसानों को बहुत लाभ हुए उन्होंने सदैव सरकारी कर्मचारियों को जनता के प्रति सही भावना व ईमानदारी से कार्य करने के लिए निर्देशित किया। काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को एक महान व्यक्तित्व का जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह ने जीवन भर गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया।